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कोरोना महामारी को हराने जनभागीदारी के साथ राजनीतिक भागीदारी बहुत जरूरी  | #NayaSaberaNetwork

कोरोना महामारी से पीड़ित जनता के दुखों में राजनीतिक भागीदारी रणनीति, कारगर सिद्ध होगी - एड किशन भावनानी



गोंदिया - कोरोना महामारी ने आज पूरे विश्व की जनता को त्रस्त कर दिया है। वैश्विक रूप से इस महामारी को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ है। अनेक देशों में लॉकडाउन लगा है, तो कहीं कर्फ्यू तो कहीं सख़्त पाबंदियों में जनता को कैद होना पड़ रहा है। परंतु एक बात ध्यान देने योग्य है कि जिन देशों में पक्ष और विपक्ष स्तर की राजनीतिक पार्टियां आपसमें तालमेल बैठाकर एकजुट होकर, पूर्ण भागीदारी के साथ, इस महामारी से लड़े हैं, उन्होंने इस घातक महामारी पर विजय प्राप्त कर ली है। अगर एक मीडिया चैनल की बात माने तोइस का सबसे संजीदा उदाहरण इजराइल का है वहां कोरोना महामारी हार गई है और अब प्रशासन ने जनता से मास्क भी हटाने को कहा है। इसके विपरीत बात अगर पूर्ण विकसित देश अमेरिका की करें तो पिछले साल ट्रंप शासन में महामारी में लाखों लोगों की मृत्यु हो गई थी अनेक कारणों में से एक कारण पक्ष व विपक्ष का तालमेल इस महामारी संबंधी नीतियों में नहीं था। और ट्रंप सख़्ती बरतने के पक्ष में नहीं थे और महामारी को हल्के मेंलिया था ऐसा मीडिया चैनलों द्वारा दिखाया गया था।... बात अगर हम भारत की करेंतो यहां कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने वर्ष 2020 की अपेक्षा अधिक कहर बरपा रही है और बड़ी तीव्रता से लोग संक्रमित हो रहे हैं और उपलब्ध मेडिकल व्यवस्थाओं से अधिक मरीज आ रहे हैं जिसमें ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, बेड की बड़ी संख्या में अपेक्षाकृत कमी महसूस हो रहीहै और श्मशान घाटों पर भी अपेक्षाकृत व्यवस्थाओं में कमी है जिन्हें ग्राउंड रिपोर्टिंग कर टीवी चैनलों के माध्यम से हम देख रहे हैं हालांकि इस बात के लिए हम किसी भी शासन-प्रशासन को दोष नहीं दे सकते व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं... बात अगर भारत में राजनीतिक भागीदारी या तालमेल की करें तो मेरा निजी अनुभव के अनुसार कम दिखाई दे रहा है जो नहींहोना चाहिए, क्योंकि मंगलवार दिनांक 20 अप्रैल 2021 को दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री एवं एक बड़े अस्पताल के प्रमुख का बयान टीवी चैनल पर आया कि दिल्ली अस्पतालों में 6- 8 घंटे की ही ऑक्सीजन बची है और फिर कुछ समय बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बयान आया के ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में है उसी तरह कुछ दिन पूर्व महाराष्ट्र व अन्य कुछ राज्यों के भी बयान आए थेकि वैक्सीनेशन में वैक्सीन की कमी महसूस हो रही है। ऑक्सीजन की भी कमी है, बेड वेंटिलेटर इत्यादि सुविधाओं की भी कमी है। उसके बाद केंद्र की ओर से एक बड़े मंत्री और अन्य मंत्रियों के बयान आए के वैक्सीनेशन का पूर्ण मात्रा में स्टॉक है और अन्य बातें कही गई।मंगलवार दिनांक 20 अप्रैल को ही माननीय प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन को अंतिम उपाय के रूप में अपनाने पर बल दिया गया और इससे आर्थिक चैन कमजोर होगी संबंधी बात कही। जबकि कुछ राज्यों में लॉक डाउन लग चुका है और महाराष्ट्र में बुधवार दिनांक 21 अप्रैल 2021 को सिर्फ जरूरी सेवाओं के लिए सुबह 7 बजे से 11 बजे तक सिर्फ 4 घंटे की छूट दी गई है। बाकी पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया है। हमारे गोंदिया जिला अधिकारी ने भी अधिसूचना उसी प्रकार की ही लागू की है। मीडिया जानकारी के अनुसार बुधवार को ही माननीय मुख्यमंत्री द्वारा जनता के नाम संदेश प्रसारण करके लॉकडाउन की शक्तियों को और बढ़ाए जाने की उम्मीद है, यानी फुल लॉक डाउन लगाया जा सकता है। उधर झारखंड में भी 22 अप्रैल से 29 अप्रैल तक 6 दिनों के लॉक डाउन की घोषणा की गई है। यूपी एमपी सहित अन्य राज्यों में भी कुछ स्तर पर लॉकडाउन किए गए हैं। उधर हम सभी आम नागरिक टीवी चैनलों के माध्यम से देखते हैं कि विपक्षी प्रमुख पार्टियां किस तरह महामारी से संबंधित नीतियों के विरोध के स्वर अपनाते हैं और मिसमैनेजमेंट करार देते हैं। आज कोरोना काल में अनेक नागरिक जिन परिवारों ने अपने सदस्य खोए हैं और दुखों से पीड़ित हैं और लाखों लोग जो अभी कोरोना से जंग लड़ रहे हैं उन्हें  उनसे मुक्ति चाहिए जो जनभागीदारी के साथ-साथ राजनीतिक भागीदारी भी उनके लिए एक मरहम और दवाई का काम करेगी। पक्ष और विपक्ष के दल,पार्टियां आपस में मिल बैठकर एक सटीक रणनीति आपसी सुझाव और तालमेल से बनाएं या सत्ताधारी दल के शासन द्वारा बनाई गई रणनीति को पूर्ण समर्थन देकर उसे क्रियान्वयन करने में पूरी ताकत झोंक दें। सत्ताधारी दल को भी चाहिए कि विपक्ष के कुछ सुझावों को अपनी रणनीति में शामिल कर कोरोना से लड़ाई में एक धारदार हथियार के रूप में प्रयोग करें। क्योंकि यह राजनीति, चुनाव, सत्ता, सभ आगे जीवन भर होते रहेंगे। जान है तो जहान है। यदि इस बीच जनता के प्राण चले गए तो सब धरा का धरा रह जाएगा।अतः सभी राजनीतिक दल, पार्टियां, नेता, चाहे राष्ट्रीय हो या प्रादेशिक हो सभी को एक साथ आकर इस संकट की घड़ी में एक-दूसरे का सहारा देकर जनता के प्राण बचाने में अपनी ताकत झोंक देना उचित रहेगा। और सभी राजनीतिक पार्टियां और शासन को महामारी के दौर में कोरोना पर विजय प्राप्त करने के साथ-साथ जनता के दिलों पर भी विजय प्राप्त करने का समय है जिसका विचार हर किसी को करना अत्यंत जरूरी है और सभी पार्टियों को स्वतःसंज्ञान लेकर जनता के स्वास्थ्य की खातिर आगे आकर जनता का भला करें वैसे वर्तमान शासन प्रशासन तो युद्ध स्तर पर अनेक रणनीतियां बनाकर विभिन्न विशेषज्ञों के साथ बैठक कर रात दिन एक कर जी जान से भिड़े हुए हैं।

-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुख दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र


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