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हुए मनोरथ सिद्ध सभी के,
दशरथ के बन पुत्र पधारे।
भ्राताओं मे ज्येष्ठ हैं जो,
ऐसे हैं प्रभु राम हमारे।।
मर्यादा की मूरत हैं जो,
अवधपुरी के राज दुलारे।
आज्ञाकारी मात-पिता के,
ऐसे हैं प्रभु राम हमारे।।
हुई घोषणा सिया स्वयंवर की,
पहुंचे सब महल के द्वारे।
किया धनुष भंग पाए सिया को,
ऐसे हैं प्रभु राम हमारे।।
वचन पिता के पूरन कीजै,
सिया संग राम विपिन पधारे।
डूबे शोक मे अवध निवासी,
ऐसे हैं प्रभु राम हमारे।।
रावण साधु मे वेश में आया,
सीता का तब हरन किया रे।
वन वन भटक रहे रघुराई,
ऐसे हैं प्रभु राम हमारे।।
जानी मंथरा की कुटिलाई,
भरत अरण्य तत्काल पधारे।
चरण पादुका दे भरत लौटयों,
ऐसे हैं प्रभु राम हमारे।।
अशोक वाटिका हनुमत आए,
वृक्ष तले वो मात निहारे।
दिए मुद्रिका हनुमत को तब,
ऐसे हैं प्रभु राम हमारे।।
राम नाम लिख शिला पर,
नल-नील संग तब सेतु संवारे।
महिमा देख सब जन हर्षाए,
ऐसे हैं प्रभु राम हमारे।।
रावण आया रणभूमि जब मे,
देख देख वानर हुंकारे।
मोक्षधाम पहुंचाए दशानन,
ऐसे हैं प्रभु राम हमारे।।
लखन सहित सियाराम गृह आए,
चौखट चौखट भए उजियारे।
माता को तब शीश नवाये,
ऐसे हैं प्रभु राम हमारे।।
कवि कुमार सागर
(समाजसेवी)
शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश
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