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गर्द के उड़ने का समय है यह
विस्थापन पुराने पत्तों का
कोंपलें और अनुभूत-पल्लव के स्थापन का
हवाओं के मिज़ाज बदलने का भी यही
यह वक़्त है समुद्र के उमड़ घुमड़ कर
बादल बन उड़-उड़ जाने का
और ऋतु का उन पर अंकुश लगाने का
यह समय एक पूर्व वक्तव्य है
जैसे ऊष्मा की बंदिश टूटने का
आसमान से अश्रु-फव्वारे छूटने का ।
(शुचि मिश्रा)
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