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पुलवामा दिवस विशेष
केराकत, जौनपुर। देश आज पुलवामा शहादत दिवस मना रहा है देश के हर कोने में शहीद स्थल सहित देश कोने कोने में शहीदो को याद किया जा रहा।
आपको को बता दे कि जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में स्थित अवंतीपोटा इलाके में 14 फरवरी 2019 दिन गुरुवार को दोपहर 3:50 बजे आतंकियों ने सीआरपीएफ जवानों के एक काफिले पर बड़ा हमला किया था।इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए और कई जवान घायल हो गए थे।वारदात के बाद आतंकी संगठन जैश- ए -मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।आपको बता दें कि पाकिस्तान ने हमले के लिए एक स्थानीय युवक आदिल अहमद डार का इस्तेमाल किया था।इसी शख़्स ने सीआरपीएफ के काफिले पर विस्फोटक कार से हमला किया। विस्फोट इतना भयानक था कि मौके पर ही 40 जवान शहीद हो गए व पीछे से आ रही बस में सवार जवान घायल हो गए।जिस एसयूवी कार से यह हमला किया गया वह लोकल नंबर की कार थी। अफसोस होता है कि एक कार में 350 किलो विस्फोटक समान से भरी एसयूवी कार हाईवे पर पूरी रात छिपा रहा और हाइवे पर घूम रहें सुरक्षा कर्मियों की नजर में क्यों नहीं आई। काश सीआरपीएफ के काफिले पर विष्फोट होने से पहले अगर सुरक्षा कर्मियों की नजर में आ जाता तो शायद इतनी बडी वारदात होने से पहले पकड़ा जाता।इस कायराना आतंकी हमले से एक ओर जहां देश वाशियों में रोष था वही सीआरपीएफ के जवानों के शहादत का बदला लेने के लिये जवानों में आक्रोश था। आखिरकार वह दिन भी आया जिस दिन का इंतजार हर देशवासी को था।26 फरवरी को जब देश चैन से सो रहा था तो हिंदुस्तान से 50 किलोमीटर दूर बालाकोट में भारतीय जवानों ने सर्जिकल स्ट्राइक कर आंतकी ठिकानों को तबाह कर लगभग 350 से ज्यादा आंतकियों को ढेर कर सकुशल वतन वापसी की।
आपको बता दें कि अब तक केराकत क्षेत्र के लगभग दस जवानों ने अपनी शहादत देकर इतिहास के पन्नो में अपनी उपस्थिति को दर्ज कराई पर अफसोस की बात है कि राज्य सरकार की बेरुखी से शहीद परिवारों में रोष का माहौल है।आज सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर जनप्रतिनिधि ऐसे वादे ही क्यों करते जिसे पूरा ही नही किया जा सकता हो सरकार शहीद हुई जवानों को लेकर बड़े बड़े वादे करती है पर कम ही शहीद परिवारों को सौभाग्य मिल पाता है।
केराकत के भौरा ग्राम से
शहीद संजय की वीरांगना नीतू सिंह ने कहा
पुलवामा शहीद दिवस की बरसी पर उन शहीदो को सलाम जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी ।"शहीदो की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले,"यह पंक्ति किसी शहीद के स्मारक को देखकर साकार हो उठती हैं पर आज के परिवेश में शायद सरकार ने इसको यही तक सीमित कर दिया है। क्या शहीद की शहादत उनकी बरसी पर ही याद की जानी चाहिए जिन्होंने इस देश के लिए सब कुछ समर्पित कर दिया ।अब समय आ गया है कि सहादत का सम्मान सरकारे करे और उनकी सहादत को बेकार न जाने दे जिससे आने वाली पीढ़ी को देश के कुछ करने की प्रेरणा मिल सकें।
त्रिभुवन यादव
शहीद धीरेंद्र प्रताप के भाई
केराकत तेजपुर ने कहा
केंद्र सरकार द्वारा किये गये वादे तो पूरे हुए पर राज्य सरकार के द्वारा किये गए वादे केवल फाइलों में दर्ज होकर रह गयी !शहीद धीरेंद्र यादव का बेटा अब बड़ा हो गया है ऐसे में सरकार को अपना वादा शहीद के बेटे को नौकरी देकर अपनी पुरानी भूल सुधारने की कोशिश करना चाहिए जिससे शहीद धीरेंद्र यादव की आत्मा को संतुष्टि मिल सकें।
रिटायर्ड फौजी व शहीद जावेद के बड़े भाई असफाक खान नरहन केराकत ने कहा देश के लिए कुर्बान होना बड़े गर्व की बात है।हमारे छोटे भाई जावेद खान द्वारा तीन आतंकियों को मुठभेड़ में मारने के बाद शहीद होने पर पूरे परिवार को दुख के साथ गर्व भी हुआ। पर उनकी कब्रगाह को देखते हुए हमें व्यथित होना पड़ता है जोकि जीर्ण सिर्ण अवस्था मे है।आज भी सरकार की नीतियां हमे स्पष्ट नहीं हो पाती हैं।
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