नया सबेरा नेटवर्क
सत्याग्रह की भूमि मोतिहारी में आयोजित होने वाले 'सत्याग्रह साहित्य सम्मान समारोह' में रक्सौल के डॉ. स्वयंभू शलभ को 'विष्णुकांत पांडेय साहित्य सम्मान 2021' से सम्मानित किया जाएगा। ख्वाब फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित होने वाला यह समारोह आगामी 21 फरवरी को एम. एस. कॉलेज के सभागार में संपन्न होगा। इस समारोह में चंपारण के उन साहित्यकारों और कवियों को सम्मानित किया जा रहा है जिनकी प्रतिभा ने चंपारण को गौरवान्वित किया है। इस समारोह में फाउंडेशन के चेयरमैन मुन्ना कुमार द्वारा रचित पुस्तक 'कष्टमेव जयते' का विमोचन भी संपन्न होगा। देश के शीर्ष साहित्यकारों के सान्निध्य में रहे डॉ. शलभ को साहित्य जगत में एक ऊँचा मुकाम हासिल है। डॉ. हरिवंशराय बच्चन उनके मार्गदर्शक रहे। अपने जीवन काल में उन्होंने डॉ. शलभ को 38 पत्र लिखे जो हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं। 'प्राणों के साज पर', 'अंतर्बोध', 'अनुभूति दंश', 'श्रृंखला के खंड', 'कोई एक आशियाँ' एवं 'संस्कृति के सोपान' डॉ. शलभ की प्रकाशित किताबें हैं। उनकी रचनाओं को न सिर्फ अपने देश में बल्कि विदेशों में भी साहित्य प्रेमी पाठक चाव से पढ़ते हैं।
हाल ही में डॉ. शलभ की छठी किताब 'संस्कृति के सोपान' प्रकाशित हुई है जिसमें उन्होंने देश के गौरवशाली इतिहास, उसकी परंपरा और संस्कृति का जीवंत चित्रण किया है। उनका मानना है कि विविध कला संस्कृति, अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य और इस भूमि के कण कण में विद्यमान आध्यात्मिक भाव को समझे बगैर इस देश को नहीं समझा जा सकता।
शिक्षा, समाजसेवा और साहित्य, तीनों क्षेत्र में बराबर दखल रखने वाले डॉ. स्वयंभू शलभ की शख्सियत अपनेआप में एक संस्था के समान है। उनकी कीर्ति हर क्षेत्र में समान रूप से फैली हुई है। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में वे स्वीप आइकॉन भी रहे।
उनके व्यक्तित्व में विज्ञान और साहित्य का अद्भुत मेल है। अपने तीन दशक की शिक्षण सेवा के दौरान उन्होंने अनेक शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्थाओं के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। फिजिक्स के प्राध्यापक के रूप में हजारों छात्रों के भविष्य का निर्माण किया।
डॉ. शलभ ने अपनी कलम को अपनी ताकत और सामाजिक सरोकार को अपना मकसद बनाया। सामाजिक बदलाव की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किये। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मंच पर अनेकों बार सम्मानित हुए।
भारत नेपाल के सीमा क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दे उठाये जिन पर सरकार ने संज्ञान लिया। खास कर पर्यावरण के क्षेत्र में किये गए उनके प्रयासों की चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हुई। यह सफलता अभिव्यक्ति की शक्ति का एक शानदार उदाहरण है। चंपारण सत्याग्रह के समय महात्मा गांधी के रक्सौल आगमन के संदर्भ को भी डॉ. शलभ ने सरकार के समक्ष प्रमुखता से उठाया। सत्याग्रह की धरती पर डॉ. शलभ को सम्मानित किए जाने की घोषणा से लोगों में अपार हर्ष है।
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