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अखिल भारतीय शासकीय सेवाओं के उच्च अधिकारियों की कमी पूरी होगी - विकास योजनाओं को तीव्र गति मिलेगी - एड किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक रूप से यह प्रसिद्ध है कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक वह इलाका है, जो स्वर्ग या जन्नत के रूप में जाना जाता है और हर किसी की यह अभिलाषा रहती है कि एक बार जम्मू-कश्मीर की वादियों से जरूर होकर आएं पर एक जमाना था, वहां भारी आतंकवाद के चलते कोई जा नहीं सकता था परंतु अगस्त 2019 के में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। जिसे संसद के दोनों सदनों में पारित कर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से अनुच्छेद 370 रद्द हो गया था और इसे दो अलग-अलग हिस्सों में विभाजित कर उसे केंद्रशासित प्रदेश घोषित कर दिया गया था जो अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश के रूप में जाने जाते हैं। उसके बाद भूमि के कानूनों में परिवर्तन कर उसमें जम्मू- कश्मीर व लद्दाख में भूमि खरीदने के अनुकूल बना दिया गया और भूमि को भारतीय नागरिक जम्मू - कश्मीर में अब शर्तोंनुसार भूमि खरीद सकते है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विकास की गति के को तीव्रता से बढ़ाने में कुछ बड़े शासकीय अधिकारियों की भारी कमी महसूस की जा रही थी जिसके कारण विकास की योजनाओं में बाधा उत्पन्न हो रही थी जिसके लिए केंद्र सरकार ने 5 पृष्ठों का यह बिल अध्यादेश के रूप में 7 जनवरी 2021 को लाया था और उसी दिन से लागू कर दिया था, जिसे 6 माह के अंदर संसद के दोनों सदनों में पास कराकर कानून बनाना था। यह विधेयक जम्मू कश्मीर पुनर्गठन( संशोधन) विधेयक 2021 था,जिसके आधार पर उच्च अधिकारी आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, आईएफएस अधिकारियों की कमी को पूरा किया गया और इस विधेयक को सोमवार दिनांक 7 फरवरी 2021 को राज्यसभा में पास किया गया था। और बजट सत्र के अंतिम दिन यानी 13 फरवरी 2021 को इस विधेयक को लोकसभा में भी पारित कर दिया।केंद्र शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में प्रशासनिक सुधार वाला जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2021 सोमवार को राज्यसभा में ध्वनिमत से पास हो गया। अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के कैडर से संबंधित यह विधेयक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) अध्यादेश की जगह लेगा। इस विधेयक को गृह राज्य मंत्री जी ने पेश किया। पिछले महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) अध्यादेश जारी हुआ था। क्या बदलेगा :- विधेयक के प्रविधानों में कहा गया है कि मौजूदा जम्मू-कश्मीर कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारी अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर का हिस्सा होंगे। यानी जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए भविष्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की सभी नियुक्तियां अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्रशासित प्रदेशों के कैडर से होंगी। अब केंद्र के नियमों के तहत काम करेंगे अधिकारी - विधेयक के प्रविधानों के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेशों के कैडर के अधिकारी केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए नियमों के अनुसार काम करेंगे। यह बताई गई वजह - विधेयक के कारण एवं उद्देश्य में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर में अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की भारी कमी है। इसके चलते केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाएं एवं दूसरी गतिविधियां प्रभावित होती हैं। अत: इस कैडर को अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम प्रदेशों के कैडर में विलय करने की दरकार है ताकि दूसरे अधिकारियों को जम्मू कश्मीर में तैनात किया जा सके। इस विधेयक के चलते केंद्र शासित प्रदेश जम्मू में अधिकारियों की कमी दूर होगी। मुख्यधारा में शामिल करने के लिए बेहद जरूरी था विधेयक इसके साथ ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) अध्यादेश के सिलसिले में एक विवरण भी सदन के पटल पर रखा। इसमें बताया गया है कि आखिर किन वजहों और परिस्थितियों के चलते जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) अध्यादेश को तत्काल कानून बनाने की जरूरत महसूस की गई है। विधेयक पर हुई चर्चा में रेड्डी ने कहा कि इस विधेयक से दोनों प्रदेशों को देश की मुख्यधारा में शामिल करने में मदद मिलेगी। विकास के पथ पर दौड़ रहा कश्मीर - इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में हुए विकास का ब्यौरा दिया। उन्होंने बताया कि हाल ही में डीडीसी चुनावों में केंद्र शासित प्रदेश के 98 फीसद लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। राज्य के 100 फीसद घरों में बिजली पहुंच गयी है। जम्मू-कश्मीर में पंचायतों के जरिए मनरेगा कार्यों के लिए 1000 करोड़ रुपए दिए गए हैं। मौजूदा वक्त में प्रधानमंत्री विकास पैकेज के तहत 20 परियोजनाएं चल रही हैं। 170 केंद्रीय कानून किए जा चुके हैं। इस विधेयक से जम्मू-कश्मीर और लेह के अफसरों की ताकत बढ़ेगी। इस बिल को विगत चार फरवरी को राज्यसभा में पेश किया था और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अधिनियम में संशोधन की घोषणा जनवरी में गजट में अधिसूचित करके की थी। महामारी के चलते आई बाधा- 17 माह पहले गठित जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में तेज गति से जारी विकास कार्य अभी भी जारी हैं लेकिन कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते तय लक्ष्यों को अभी भी हासिल नहीं किया जा सका है। उन्होंने कहा कि कश्मीर कैडर के आइएएस, आइपीएस और आइएफएस का विलय एजीएमयूटी कैडर में कर दिया गया है। अभी इस विधेयक पर राष्ट्रपति महोदय के हस्ताक्षर होने के बाद यह कानून बन जाएगा हर भारतीय नागरिक की है चाहत है कि जम्मू कश्मीर लद्दाख में बहुत तेजी के साथ हैं विकास हो और हर भारतीय नागरिक की अभिलाषा यही है कि वह एक बार जरूर जम्मू कश्मीर की वादियों में कदम रखे और यह उनका सपना सच्चाई के बहुत करीब है।
संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एड किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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