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मंत्री से राज्यपाल तक का रहा राजनीतिक सफर
सादगी की प्रतिमूर्ति थे माता प्रसाद
अखिलेश श्रीवास्तव
मछलीशहर,जौनपुर । स्थानीय नगर के एक सामान्य परिवार में जन्मे विधायक से लेकर राज्यपाल तक का सफर तय करने वाले पूर्व राज्यपाल एवं पूर्व मंत्री माता प्रसाद का मंगलवार की देर रात पीजीआई लखनऊ में निधन होने की खबर मिलते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी।बताते है कि नगर के कजियाना मोहल्ले के जगरूप राम के घर 11 अक्टूबर 1924 को पुत्र के रूप में जन्मे माता प्रसाद मछलीशहर के एक सामान्य विद्यालय से शिक्षा ग्रहण करने के बाद बेलवा में सहायक अध्यापक बन गये। इसी दौरान उन्होंने गोविंद , विशारद के अलावा हिंदी साहित्य की परीक्षा पास की। अध्यापन काल में ही इन्हें लोकगीत लिखना और गाने का शौक हो गया था । इनकी कार्य कुशलता को देखते हुए इन्हें कांग्रेस पार्टी ने 1955 में जिला कांग्रेस कमेटी का सचिव बना दिया।
माता प्रसाद 1955 में कांग्रेस के जिला सचिव का पद ग्रहण कर जब अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत किये तो कभी मुड़कर पीछे नहीं देखें। माता प्रसाद के कार्य कुशलता से प्रभावित होकर कांग्रेस पार्टी ने 1957 मे शाहगंज सुरक्षित सीट से टिकट दे दिया। पार्टी नेतृत्व इस फैसले को सही साबित करते हुए माता प्रसाद विधानसभा में पहंुच गए। इसके बाद वहां की महान जनता ने उन्हें अपने आँखों का तारा बना लिया।यही कारण रहा कि वहां कि जनता ने 1957 से 1974 तक लगातार पाँच बार विधानसभा में अपना प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया।इसके बाद माता प्रसाद 1980 से 1992 तक दो बार लगातार विधान परिषद में भी प्रतिनिधित्व किया।नारायणदत्त तिवारी के शासन काल मे 1988 से 89 तक राजस्व मंत्री का पद भी सुशोभित किए थे । देश के प्रधानमंत्री नरसिंह राव की सरकार ने 21 अक्टूबर 1993 को इन्हें अरु णाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाया और 31 मई 1999 तक ये राज्यपाल रहे।
पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद एक साहित्यकार के रूप में भी जाने जाते रहे। उन्होंने एकलव्य खंडकाव्य , भीम शतक प्रबंध काव्य , राजनीत की अर्थ सतसई, परिचय सतसई, दिग्विजयी रावण जैसी काव्य कृतियों की रचना ही नहीं अपितु अछूत का बेटा , धर्म के नाम पर धोखा , वीरांगना झलकारी बाई , वीरांगना उदा देवी पासी , तड़प मुक्ति की , धर्म परिवर्तन प्रतिशोध , जातियों का जंजाल , अंतहीन बेडि़यां , दिल्ली की गद्दी पर खुसरो भंगी जैसे नाटक भी रचे। इसके साथ ही राज्यपाल रहते उन्होंने मनोरम अरु णाचल पूर्वोत्तर भारत के राज्य , झोपड़ी से राजभवन आदि उल्लेखनीय कृतियां लिखी हैं। माता प्रसाद सादगी की प्रतिमूर्ति रहे और राजनेताओं को आईना दिखाया है। पांच बार विधायक , दो बार एमएलसी , उत्तरप्रदेश के राजस्व मंत्री और राज्यपाल रहे माता प्रसाद पैदल या रिक्शे पर बैठकर अपना काम किया करते थे। उनके निधन से क्षेत्र को ही नहीं बल्कि राष्ट को भी अपूर्णीय क्षति के रूप में देखा जा रहा है।
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