जिएं सदा हम स्वाभिमान से, पर अहंकार का लेश न हो : डॉ मधु पाठक | #NayaSaberaNetwork

सादर नमन मंच।
डॉ मधु पाठक के मन से
निकले प्रथम पांच शब्द------
१- सद्ज्ञान
२-सत्साहस
३-सहयोग
४-समर्पण
५-स्वाभिमान

सादर नमन मंच
दिनांक-९/११/२०२०
*मेरे मन में आने वाले प्रथम पांच शब्दों
पर आधारित मेरी स्वरचित कविता*

*जिएं सदा हम स्वाभिमान से
पर अहंकार का लेश न हो।
सहयोग,समर्पण,सेवा हो
मन में कोई क्लेश न हो।
सद्ज्ञान का दीप जला कर
मन को आलोकित कर लें।
हम बढ़ें सदा सत्साहस लेकर
मन प्रेमपगा हो, द्वेष न हो।
सहयोग,समर्पण भाव लिए
सत्साहस से बढ़ जाएं हम।
सद्ज्ञान बने आधार सदा तो
मानवता का परचम लहराएं हम।
करें मनुजता की रक्षा
सद्भाव बढ़े,सम्मान बढ़े
जिएं सदा हम स्वाभिमान से
पर अहंकार का लेश न हो।
आओ प्रेम के दीप जलाएं
अंधियारा अब शेष न हो।*


स्वरचित, मौलिक
डॉ मधु पाठक, जौनपुर, उत्तर प्रदेश।

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