मुझे खूब याद आता है,
मेरा प्यारा प्यारा गांव।
बारिश के दिनों में जहां,
चलती कागज की नाव।।
बहुत याद आता है मुझकों,
कभी अपनों का वो साथ।
कभी बड़े पीपल की वो छांव,
लें चलों अब मुझकों मेरे गांव।।
सड़क किनारे है मेरा गांव,
वहीं है मां काली का धाम।
करते लोग खूब दर्शन पूजन,
यहां है जगाब्रह्म बाबा का नाम।।
गांव में रहते मेरे मम्मी-पापा,
गांव में है मेरा खेत खलिहान।
पापा वहीं खेतों में करते काम,
तभी कहलाते वो किसान महान।।
याद आता मुझको मेरा गांव,
सरपंच जी लगाते जहां चौपाल।
यहां ना कोई कहता गुड मॉर्निंग,
सबके मुख से निकलता राधे-गोपाल।।
गांव में रहते हरकू, प्यारे, राधेश्याम,
प्रेम भाव से करते सब अपना काम।
छोटा बड़ा का ना किसीमें कोई भेदभाव,
गांव में सब हाथ जोड़ करते राम-राम।।
गांव में दिखता संस्कार के भाव,
छोटे आज भी छूते बड़ों के पांव।
कोई लेे चलो अब मुझकों मेरे गांव,
जहां खूब मैं दौड़ता था नंगे पांव।।
अंकुर सिंह
चंदवक, जौनपुर, उत्तर प्रदेश -222129
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