नया सबेरा नेटवर्क
भायंदर। कहते है कि होनहार बिरवान के होत चिकने पात। 11 वर्षीय अनंत पंडित इस कहावत को यथार्थ कर रहे है। मिट्टी की पारंपरिक और सिरेमिक्स कला में पारंगत बन रहे अनंत अपने परदादा की विरासत को आगे बढ़ा रहे है। इस दौर में जब बच्चे विरासत में मिली कला, परंपरा और व्यापार से दूरियां बना रहे है तो वही अंनत न केवल उसे अपना रहे है बल्कि इस छोटी सी उम्र में भी उन्होंने अपने हुनर का लोहा मनवाया है।
शर्मीले स्वभाव के अनंत कम बोलते है, शायद ईश्वर ने उनकी अभिव्यक्ति का सारा दामोदर उनके हाथों को दे रखा है। अनंत के छोटे-छोटे हाथ जब मिट्टी पर पड़ते है तब उससे निकलने वाला रूप किसी को भी आश्चर्यचकित और निःशब्द कर देता है। एक झलक में कोई कह की नही सकता कि यह कलाकृति एक 11 वर्षीय बच्चे की अभिव्यक्ति है। किसी को भी आश्चर्य होगा कि दो वर्ष की आयु से ही अनंत के हाथ मिट्टी को रूप देने लग गए थे।अब तक अनंत को मिट्टी और सिरेमिक्स की विभिन्न कलाकृतियों के लिए दर्जनों पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। परिवार की इस विरासत को आगे बढ़ाने के अलावा अनंत पढ़ाई में भी अव्वल है और छठी कक्षा के विद्यार्थी है। अनंत की माँ खुशबू कहती है कि अनंत को मिट्टी से प्यार है। वो न केवल सिरेमिक्स बल्कि पारंपरिक कला को भी आत्मसात कर रहा है। अनंत कहते है कि उनकी आकांक्षा इस कला को न केवल भारत मे बल्कि विश्व में एक नया मुकाम दिलाने का है।
अनंत के दादा ब्रह्मदेव पंडित को मिट्टी और सिरेमिक्स की कला को एक नया आयाम देने के लिए भारत सरकार द्वारा पदमश्री पुरस्कार से नवाजा गया है। ब्रह्मदेव पंडित कहते है कि उन्हें गर्व है कि उनके बेटे अभय और बहू खुशबू के बाद उनका पोता भी परिवार की विरासत को आगे लेकर जा रहा है। गौरतलब है कि अभय पंडित को भी राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।
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