नया सबेरा नेटवर्क
पटना ।पूरा बिहार छठमय हो चुका है। बिहार ही नहीं लगभग पूरे भारत और नेपाल में छठ महापर्व की रौनक है। भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित चार दिवसीय त्योहार है। इस साल ये त्योहार 8 नवंबर को नहाय खाय से शुरू हुआ। 11 नवंबर को तड़के भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इसका समापन होगा।
पटना के घरों में छठ व्रती पूजा कर रहीं हैं। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो चुका है। महिलाएं इसके साथ ही लोक गीत गा रही हैं। इस बार छठ पूजा में कोरोना और डेंगू जैसे बीमारियों को खत्म होने की कामना कर रही हैं।
औरंगाबाद के सूर्यनगरी देव में रौनक देखते ही बनता है। जगह-जगह पर मिट्टी के चूल्हे पर पीतल के बर्तन में गुड़ और दूध से खीर बनाए गए। इसी प्रसाद को ग्रहण कर व्रती तीन दिनो का निर्जला उपवास रखती हैं। वहीं, अदरी नदी के सूर्य मंदिर घाट के पास भव्य गंगा आरती का आयोजन किया गया। अदरी नदी के तट पर 5 हजार दीपक जलाए गए। शंखनाद के साथ गंगा आरती शुरू किया गया तो इसका दीदार शहर के हजारों लोगों ने किया।
पूर्णिया के कस्बा में कारी कोसी नदी के किनारे बना छठ घाट कई मायनों में खास है। इस घाट पर इस बार 20 फीट ऊंचे घोड़े पर सवार भगवान सूर्य की प्रतिमा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आयोजकों का दावा है कि इतनी ऊंची प्रतिमा छठ घाट पर कहीं नहीं है। सुरक्षा को देखते हुए यहां बैरिकेडिंग और वॉच टावर लगाया गया है।
लोक आस्था यानी सूर्योपासना का महापर्व छठ की तैयारी नहाय खाय से ही चल रही है। अर्घ्य देने के लिए घाट लगभग रेडी हो चुके हैं। भोजपुर जिले में भी इसको लेकर खासी तैयारी की गई है। बेलाउर के मौनी बाबा सूर्य मंदिर में भी जोरदार तैयारी की गई है।
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