नया सबेरा नेटवर्क
बिना कार्ड के खुले खाते को लेकर महिला अभिकर्ताएं असमंजस में
पोर्टल पर लागू नये नियम से कई आरडी खाते बंद होने के कगार पर
हिम्मत बहादुर सिंह/सैयद फ़ैज़ान आब्दी
जौनपुर। डाक विभाग की तरफ से रोजगार उपलब्ध कराये जाने को लेकर कई योजनाएं चल रही हैं। जिनमें से एक योजना एसएएस (स्टैंड्राइजड एजेंट सिस्टम) तो दूसरी एमपीकेबीवाइ तथा फ्रेंचाईजी बनने की है। एसएएस में केवीपी, एनएससी व टर्म डिपॉजिट के पैसे जमा होते हैं। एमपीकेबीवाइ में महिलाओं को एजेंट बनाया जाता है। जिले में डाक विभाग के तकरीबन बीस हजार से अधिक एजेंट कार्य कर रहे हैं। जो लगभग दस करोड़ से अधिक की रकम प्रति माह उपभोक्ताओं से लेकर उनके आरडी खाते में जमा कराते हैं। सूत्रों की मानें तो हकीकत में कुछ को छोड़कर महिला एजेंट का कार्य महिलाएं नहीं बल्कि उनके पति, भाई व देवर उपभोक्ताओं से पैसे जुटाकर डाकघरों में जमा करवाने का काम करते हैं। महिला प्रधान अभिकर्ताओं को लघु बचत योजना के तहत डाकघर में 5 वर्षीय आरडी खाते में रकम जमा कराने पर डाक विभाग की तरफ से 4‡ कमीशन सीधे उनके बचत खाते में मिलता है तो वहीं एसएएस के अभिकर्ताओं को डाकघर में सावधि जमा, मासिक आय, किसान विकास पत्र तथा राष्ट्रीय बचत पत्रों में निवेशकों की राशि जमा करवाने पर आधा प्रतिशत कमीशन मिलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए अनेकों योजनाएं चला रखी हैं जिनमें से एक डाक विभाग की महिला एजेंट बनकर उनकी आजीविका का साधन उपलब्ध कराना भी है। वहीं केंद्र सरकार के अधीन संचालित डाक महकमा महिला अभिकर्ताओं को सहूलियत देने के स्थान पर नया-नया नियम थोप कर उनकी रोजी रोटी के समक्ष संकट खड़ा करता दिखाई पड़ रहा है। आनन फानन में बिना किसी पूर्व सूचना के डाक विभाग द्वारा महिला अभिकर्ताओं के लिए संचालित पोर्टल पर आरडी लॉट बनाने के लिए जिला बचत कार्यालय द्वारा जारी कार्ड संख्या को अनिवार्य कर दिया गया है। बिना कार्ड संख्या के ऑनलाईन आरडी लॉट बन ही नहीं सकती। जिसको लेकर जिले ही नहीं देश भर के महिला अभिकर्ताओं के समक्ष यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है कि अब आखिर उपभोक्तओं की रकम जमा हो तो कैसे? गौरतलब हो कि डाकघरों के सीबीएस होने के पूर्व एक लॉट अधिकतम दस हजार की बनाकर महिला अभिकर्ताओं द्वारा डाकघरों में जमा की जाती थी। सीबीएस होने के बाद विभाग ने पूरा सिस्टम ही आनलाइन कर दिया। इस काम के लिए महिला अभिकर्ताओं के लिए अलग से डीओपी एजेंट पोर्टल चालू कर दिया गया जिसमें एक लाट अधिकतम बीस हजार की बना कर रकम जमा की जा सकती है। इन दिनों अनेकों महिला अभिकर्ता बचत कार्यालय से लेकर डाक विभाग के चक्कर लगा रहीं हैं कि आखिर उन आरडी खातांे का क्या होगा जो बिना कार्ड संख्या के ही खुल चुके हैं। उनका आरोप है कि वर्ष 2018 व 2019 में जिला बचत कार्यालय द्वारा कार्ड जारी नहीं किया जा रहा था जिस कारण बिना कार्ड के ही इस दौरान डाकघरों में बड़े पैमाने पर आरडी खाते खोले गये। बिना कार्ड संख्या एलाट हुए खोले गये यही आरडी खाते अब महिला अभिकर्ताओं के गले की फांस बन गये हैं। इस समस्या से निकलने का हल न तो डाक विभाग न ही जिला बचत कार्यालय निकाल रहा है जिससे महिला अभिकर्ताओं के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस बाबत जिला बचत अधिकारी अरविंद सिंह ने बताया कि इस समस्या के लिए जहां बचत कार्यालय जिम्मेदार है तो वहीं डाक महकमा और अभिकर्ताओं की भी उतनी ही जिम्मेदारी है। उनके अनुसार यदि बचत कार्यालय द्वारा किसी कारण वश कार्ड जारी नहीं हो सका तो डाक कर्मियों को बिना कार्ड संख्या के आरडी खाता नहीं खोलना चाहिए था। महिला अभिकर्ताओं के ऊपर इसका ठीकरा फोड़ते हुए श्री सिंह ने कहा कि अभिकर्ताओं को भी बिना कार्ड लिये खाता नहीं खुलवाना चाहिए था। वहीं महिला अभिकर्ताओं का आरोप है कि जब जिला बचत कार्यालय ने डाक विभाग के सीबीएस होने के कुछ समय बाद कार्ड जारी करना बंद कर दिया था तो ऐसे में अगर उपभोक्ताओं के आरडी खाते नहीं खुलते तो उनका व्यवसाय ठप्प पड़ जाता। अपने व्यवसाय को चालू रखने के लिए ही हम लोगों ने बिना कार्ड के ही आरडी खाता खुलवाया। इस दौरान डाकघरों पर भी बिना किसी आपत्ति के आरडी खाते खुलते रहे। अब देखना यह है कि डाक महकमे के आला अधिकारी इस समस्या को कितनी गंभीरता से लेते हैं और इसके निराकरण के लिए क्या उपाय करते हैं जिससे महिला अभिकर्ताओं की समस्या दूर हो सके।
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