नया सबेरा नेटवर्क
प्रदेश के ग्राफिक विधा के स्तम्भ कलाकारों में से एक थे गोपाल दत्त
काफी दिनों से शारीरिक अस्वस्थता के चलते गुरुवार को हुआ निधन
लखनऊ। गुरुवार को प्रातः प्रदेश के वरिष्ठ छापा कलाकार गोपाल दत्त शर्मा का लम्बे समय से चल रहे शारीरिक अस्वस्थता के कारण निधन हो गया। वे लगभग 80 वर्ष के थे। कलाकार भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि गुरुवार को गोपाल दत्त के निधन के ख़बर से प्रदेश ही नहीं देश के अन्य प्रांतों के कलाकारों में भी शोक की लहर दौड़ गई। गोपाल दत्त शर्मा के निधन की खबर की पुष्टि गोपाल दत्त शर्मा के दामाद से फोन पर बात करने पर हुई। सभी ने शर्मा को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनसे जुड़े संस्मरण को सोशल मीडिया और फोन पर साझा किया। लखनऊ उत्तर प्रदेश कला जगत में अमूल्य योगदान दिया है। इस प्रदेश के अनेकों कलाकारों ने अपने कला कर्म से इस कला भूमि का नाम और मान देश व विदेशों में बढ़ाया है। गोपाल दत्त शर्मा भी एक ऐसे ही कलाकार थे। इनका जन्म मेरठ में 15 नवंबर 1941 में हुआ। 1961 में कला एवं शिल्प महाविद्यालय लखनऊ से डिप्लोमा इन फाइन आर्ट्स किया। ये म्यूरल, सिल्क स्क्रीन प्रिंटिंग में भी अच्छे जानकार थे। लंबे समय तक गोपाल दत्त ने कला महाविद्यालय में शिक्षण कार्य किया। साथ ही ललित कला केंद्र में भी निरंतर कार्य भी करते रहे। गोपाल दत्त ने कई राज्य स्तरीय, व अखिल भारतीय स्तर पर छापा कला के प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं में सहभागिता करते रहे हैं। चित्रकार व लेखक अवधेश मिश्रा के एक लेख के अनुसार वरिष्ठ कलाकार गोपाल दत्त शर्मा जो ग्राफिक कलाकार के रूप में देश व विदेशों में पहचान रखते थे ग्राफिक विधा के स्तम्भ कलाकारों में से एक रहे हैं। इनकी प्रारंभिक कला यात्रा एक लैंडस्केप पेंटर के रूप में छवि उभर कर आई।गोपाल दत्त ने चित्रों से अधिक मूर्तियों में अपना रुझान किया। पॉटरी और मूर्तियों जिनमे टेराकोटा मार्बल सीमेंट में भी अपने प्रयोग किये। शर्मा का एक।महत्वपूर्ण पक्ष ग्राफिक के लिनोकट और उडकट में रहा है। एक्वाटिंट में भी अनेकों प्रयोग किये। शर्मा जी का तकनीकी और वैचारिक दोनों ही पक्ष समान्तर सन्तुलित और सशक्त रहे हैं। अनुभूतियों और सृजनात्मकता के धनी होने के कारण अपनी कलाकृतियों से कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
प्रदेश के वरिष्ठ कलाकार जय कृष्ण अग्रवाल ने अपने शोक व्यक्त करते हुए कहा की अत्यंत दुखद समाचार है हमने एक अच्छा इंसान और कलाकार खोया है । वह एक कर्मनिष्ठ छात्र फिर अध्यापक और कलाकार रहे थे उनका देहावसान उत्तर प्रदेश के कलाजगत की अपूर्ण क्षति हैं ।
वरिष्ठ कलाकार कला आलोचक अखिलेश निगम ने कहा की दु:खद, लखनऊ कला महाविद्यालय में छापा कला के अध्यापक और एक कुशल छापाकार के रूप में गोपाल दत्त शर्मा की पहचान रही है. वे हंसमुख स्वभाव के इंसान रहे हैं । अपने साथियों में वे 'ताऊ' के नाम से जाने जाते रहे हैं. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें, और उनके परिवार को इस अपार दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें ।
वरिष्ठ प्रिंटमेकर मनोहर लाल भुंगरा ने कहा की वे एक अच्छे कलाकार रहे। उन्होंने कई विधाओं में प्रयोग किये। यह न भरने वाला दुःख है। उनका स्थान कोई नहीं ले सकता। वे हमेशा याद किये जायेंगे।
कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ के डीन श्री अलोक कुमार ने कहा की गहरे दुख के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि श्री गोपाल दत्त शर्मा जी नही रहे । हमारे कॉलेज के पूर्व छात्र और विशिष्ट शिक्षक के रूप में श्री गोपाल दत्त शर्मा एक अभ्यास प्रिंट निर्माता थे । वह लखनऊ में रहता है । कुछ महीनों से वह चोट से पीड़ित था । लगभग एक महीने पहले मैंने उससे बात की । हम नहीं जानते कि कल क्या होने वाला है । भगवान उनकी आत्मा को शांति दे । परिवार और मित्रों के प्रति मेरी गहरी संवेदना । साथ ही नई दिल्ली से वरिष्ठ मूर्तिकार रमेश बिष्ट ने भी उनके कला में किये गए योगदान को याद किया। इस शोक में गोपाल दत्त के समस्त शिष्यों ने भी अपने गुरु के संस्मरण को याद करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। नई दिल्ली से चित्रकार नवल किशोर रस्तोगी ने याद करते हुए कहा की श्री गोपाल दत्त शर्मा जी जिन्होंने मुझे पढ़ाया वह मेरे परम प्रिय शिक्षकों में से एक थे हम हॉस्टल में रहते थे तो वह सदैव हॉस्टल के विद्यार्थियों से अपार स्नेह रखते थे अपने घर में या वह हनुमान सेतु पर सेवा करते थे तो हम लोगों को उसमें बुलाते थे और हम अक्सर वहां जाया करते थे गुरुजी हमें म्यूरल और ग्राफिक्स दोनों पढ़ाते थे और इसके अलावा जब भी हमारे स्कूल में खेल हुआ करते थे तो एक खेल हुआ करता था रस्साकशी तो रस्साकशी के खेल में वह हमेशा हॉस्टल के विद्यार्थियों के साथ रहते थे और उनको प्रोत्साहन देते थे और जब हॉस्टल के बच्चे अक्सर रस्साकशी में जीतते थे तो उन्हें दूसरे दिन चाय और समोसा भी खिलाते थे मुझे याद है की जब भी कभी हम लोग उनकी क्लास में होते थे तो हमेशा पहले बच्चों से पूछते थे इतने मायूस क्यों हो मुझे लगता है तुम भूखे हो तो कुछ खिलाते पिलाते थे और फिर क्लास शुरू करते थे आज वह नहीं रहे मुझे उनका चेहरा उसी मुस्कान के साथ सामने आ रहा है अभी कुछ ही दिनों पहले मैं जब लखनऊ सेंटर गया था तो उन्होंने अपने मुझे काम दिखाए थे कुछ प्रिंट और कुछ कैनवस जिन्होंने एक्रेलिक पेंट से तैयार किए थे मुझे उनका मशरुम का प्रिंट बहुत प्रिय था और अपने स्टूडेंट्स को वह बहुत प्यार करते थे और एक बात और मैं बताना चाहूंगा की गुरुजी हनुमान जी के अनन्य भक्त थे मैं उनके घर से भी जुड़ा रहा हूं। वरिष्ठ प्रिंटमेकर संदीप भाटिया ने कहा की वरिष्ठ कलाकार गोपाल सर के निधन की खबर से बहुत ही दुख हुआ है। कला जगत के लिए यह बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है एक संवेदन शील कलाकार थे।
from Naya Sabera | नया सबेरा - No.1 Hindi News Portal Of Jaunpur (U.P.) https://ift.tt/3lQEo9k
from NayaSabera.com
0 Comments