नया सबेरा नेटवर्क
मुंबई। अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वाधान में रविवार दिनांक 26 सितंबर 2001 को मेरी साहित्य यात्रा विषय पर संवाद हुआ।साहित्यकार से संवाद की कड़ीं में डा. कमल किशोर गोयनका आमंत्रित थे। साहित्य के सामान्य पाठकों में कबीर और निराला बहुत समादृत हैं, किन्तु कम ही लोग यह जानते हैं कि कबीर को साहित्यिक मान्यता दिलाने का श्रेय पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी तथा निराला को स्थापित करने का श्रेय पं. रामविलास शर्मा को जाता है। उसी प्रकार प्रेमचंद के साहित्य से अभिभूत देश-विदेश के करोड़ों पाठकों में कितनों को पता है कि प्रेमचंद को साहित्य-जगत में सदा-सदा के लिए स्थापित करने में डा. कमल किशोर गोयनका की आलोचना और अनुसंधान की ही भूमिका है। प्रेमचंद साहित्य की 'इनसाइक्लोपीडिया' के नाम से विख्यात कमल किशोर गोयनका प्रेमचंद के जीवन,विचार तथा साहित्य के शोध,अध्ययन की नई दिशाओं के उद्घाटन, प्रेमचंद का कालक्रमानुसार जीवनी लेखन, प्रेमचंद्र के मूल दस्तावेजों- पत्रों, डायरी, बैंक पासबुक, फोटोग्राफों, पांडुलिपियों- आदि की लगभग 3000 वस्तुओं का संचयन और प्रेमचंद विश्वकोष की रचना, प्रेमचंद पर आलोचकों की पुरानी मान्यताओं को खंडित कर नई मान्यताओं, निष्कर्षों के प्रतिपादन, प्रेमचंद के हजारों पृष्ठों के लुप्त तथा अज्ञात साहित्य की खोज करने वाले निराले साहित्यकार हैं। प्रेमचंद के साहित्य पर शताधिक ग्रन्थों के प्रणेता, प्रेमचंद के साहित्य पर पीएचडी और डीलिट करने वाले एकमात्र शोधार्थी- साहित्यकार डा. कमल किशोर गोयनका से दिनांक 26 सितंबर 2021 को सायं 5-30 बजे संवाद/संचालन अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने की। तकनीकी सहयोग डॉ बलजीत श्रीवास्तव एवं प्रेमचंद गुप्ता की थी। मुंबई से कवि, पत्रकार विनय शर्मा दीप ने उपारोक्त जानकारी दी।
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