नया सबेरा नेटवर्क
चंडीगढ़ । चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर जल्द ही पीने का शुद्ध पानी उपलब्ध हो सकेगा। इसकी कवायद इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेशन (आईआरएसडीसी) ने शुरू कर दी है। हवा से पानी बनाने वाली मशीन लगाने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह मशीन तेलंगाना के सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन की तर्ज पर चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर लगाई जाएगी। यह मशीन हवा की नमी से पानी बनाएगी।इस पानी को ‘मेघदूत तकनीक’ से बनाया जाएगा। रेलवे के अधिकारियों का दावा है कि यह पानी पीने लायक होगा। मशीन से तैयार पानी डब्ल्यूएचओ और जलशक्ति मंत्रालय की गुणवत्ता के अनुरूप होगा। इसे मेक इन इंडिया के तहत तैयार किया गया है।
यह मशीन पर्यावरण के अनुकूल है। यह हर मौसम में काम करती है। यह किसी पानी के स्रोत पर निर्भर नहीं है। यह कुछ भी वेस्ट उत्पन्न नहीं करती है, हर मौसम में काम कर सकती है। यह शोर भी कम करती है। हमेशा तापमान और नमी के स्तर को डिस्प्ले पर दिखाती है। मशीन हवा से सीधे पानी सोखती है।
अधिकारियों की मानें तो दुनियाभर में भूजल स्तर नीचे जा रहा है, पानी की किल्लत बढ़ती जा रही है। शहरों में जलस्तर काफी नीचे चला गया है। भूजल के दोहन पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है, ऐसे में चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर लगने वाली हवा से पानी बनाने की मशीन काफी उपयोगी साबित हो सकती है। वर्ष 2030 तक केवल 60 फीसदी पानी उपयोग के लिए रहेगा। ऐसे में पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की जरूरत है।
ऐसे काम करती है मशीन सबसे पहले हवा को साफ करती है, ताकि उसके प्रदूषक तत्व पानी में न आने पाएं
हवा में मौजूद नमी को पानी में बदलती है। इसके लिए हवा में कम से कम 60 फीसदी नमी जरूरी हो मशीन से छनकर निकलने वाली हवा सीधे कूलिंग चैंबर में जाती है जहां उसे बेहद ठंडा किया जाता है, यहीं कंडेस्ड हवा पानी की बूंद में बदलती है धीरे-धीरे पानी स्टील के टैंक में स्टोर होता चला जाएगा, स्टील के बर्तन में पानी खराब भी नहीं होता जमा हुआ पानी कई बार फिल्टर होता है, जिससे पानी शुद्ध हो जाता है
तैयार पानी को एक बार फिर कार्बन और ओजोन फिल्टरेशन के जरिये साफ किया जाता है, तब पानी पीने के लायक होता है, आखिरी चरण में पानी का स्वाद बेहतर करने के लिए इसमें मिनरल मिलाए जाते हैं चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर लगाए वाटर वेंडिंग मशीन काफी समय से बंद पड़े हैं। मशीन बंद होने की वजह से पहले जहां पांच रुपये में रेल यात्रियों को पानी मिल जाता था, अब उन्हें 15- 20 रुपये में स्टेशन पर पेयजल के लिए खर्च करने पड़ते हैं। बता दें कि सबसे पहले 2016 में स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर वन पर पहला वाटर वेंडिंग मशीन लगाया गया था। कोरोना काल की शुरुआत से पहले तक मशीन ठीक चले हैं, लेकिन उसके बाद कांट्रेक्ट इश्यू के चलते मशीनें बंद कर दी गईं। तब से यहां वाटर वेंडिंग मशीनें बंद पड़ी हैं।
चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पर लगे वाटर वेंडिंग मशीन अभी बंद पड़े हैं। इसकी जगह पर सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन की तर्ज पर जल्द हवा की नमी से पानी बनाने वाली मशीन लगाई जाएगी। यह पानी बिल्कुल शुद्ध होगा।
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