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केंद्रीय बजट 2021-22 में घोषित योजना - मुख्य सरकारी परिसंपत्तियों के जरिए 6 लाख करोड़ की मुद्रीकरण प्रक्रिया 2022-2025 का शुभारंभ सराहनीय - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत में पिछले कुछवर्षों की योजनाओं को अगर हम देखें, तो इनका रणनीतिक रोडमैप कुछ इस तरह तैयार किया जा रहा है कि हमारी अगली पीढ़ियों तक इसका प्रभाव दिखता रहे। याने योजनाएं इस तरह तैयार की जा रही है कि इसकी जड़ याने बुनियादी ढांचे के स्वरूप में आधुनिकता कर विकास का पहिया जड़ से डाला जा रहा है ताकि विकास की बुनियाद ही मजबूत रहे जिससे हमारी अगली पीढ़ियां भी इसका लाभ उठा सकें। बीते वर्षों में हमने देखा भारतमाला, सागरमाला, विद्युतक्षेत्र जलक्षेत्र रिहायशी क्षेत्र, बिजली क्षेत्र के साथ अब मुद्रीकरण पाइपलाइन योजना का शुभारंभ दिनांक 23 अगस्त 2021 को शाम केंद्रीय वित्तमंत्री के हस्ते किया गया जिसमें नीति आयोग सहित अनेक विभागों केअधिकारी शामिल थे।...साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइप लाइन की करें तो इसकी घोषणा माननीय वित्तमंत्री ने केंद्रीय बजट 2021 -22 में ही कर दी थीं। उसको अब अमलीजामा पहनाया गया है। पीआईबी की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, एनएमपी पर रिपोर्ट के खंड 1 और 2 को आज नीति आयोग, पाइपलाइन के तहत शामिल बुनियादी ढांचे से संबंधित मंत्रालयों यथा सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग, रेलवे, बिजली, पाइपलाइन व प्राकृतिक गैस, नागरिक उड्डयन, पोत परिवहन, पत्तन एवं जलमार्ग, दूरसंचार, खाद्य व सार्वजनिक वितरण, खनन, कोयला और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालयों के सचिवों के साथ वित्त विभाग के अनेक सचिव की उपस्थिति में जारी किया गया।...साथियों बात अगर हम उपरोक्त सरकारी बुनियादी ढांचे,संपत्तियों में बेहतर संचालन, रखरखाव के लिए निजी क्षेत्र में निवेश की तैयारी की करें तो वित्तमंत्री के अनुसार इसके तहत भूमि का मुद्रीकरण नहीं किया जाएगा केवल ब्राउनफील्ड संपत्ति का मुद्रीकरण किया जाएगा, यह मुख्य रूप से सड़क,बिजली, रेलवे सहित अन्य क्षेत्रों में सरकार निजी क्षेत्र से निवेश लाकर छह लाख करोड़ रुपए जुटाएगी और इन क्षेत्रों की कंपनियों का प्रबंधन बेहतर तरीके से होने को लेकर सरकार प्रतिबद्ध है। प्रबंधन बेहतर होने की उम्मीद किसी पीएसयू में विनिवेश प्रक्रिया का एक उद्देश्य उस कंपनी का बेहतर प्रबंधन भी होता है। वास्तव में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां सिर्फ मुनाफे को ध्यान में रखकर काम नहीं करती, इसलिए कई बार उनके कामकाज में ज्यादा मुनाफा नहीं होता निजीकरण और विनिवेश में मालिकाना हक को लेकर अंतर है। अगर किसी पीएसयू का निजीकरण किया जा रहा है तो उसमें सरकार अपनी 51 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी निजी क्षेत्र को बेच देती है। विनिवेश या डिसइन्वेस्टमेंटकी प्रक्रिया में सरकार अपना कुछ हिस्सा बेच देती है, लेकिन पीएसयू में उसका मालिकाना हक बना रहता है। नीति आयोग के सीईओ अनुसार, हमें लगता है कि बेहतर संचालन और रखरखाव के लिए सरकारी संस्थाओं में निजी क्षेत्र को लाना बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसे में हम ग्राउंड लेवल पर बेहद मजबूती से काम करने में लगे हैं। सरकार की बड़ी हिस्सेदारी वाली कंपनियों को सावर्जनिक उपक्रम या पीएसयू कहा जाता है। सरकार के लिए विनिवेश, पैसे जुटाने का एक महत्वपूर्ण जरिया है। विनिवेश की इस प्रक्रिया के जरिए सरकार अपने शेयर बेचकर संबंधित कंपनी में अपना मालिकाना हक घटा देती है। विनिवेश की इस प्रक्रिया से सरकार को दूसरी योजनाओं पर खर्च करने के लिए धन मिलता है।...साथियों बात अगर हम इस एनएमपी से रोजगार सृजन होने की करें तो वित्तमंत्री के अनुसार,यह रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है। जिससे आर्थिक विकास की गति को तेज करने के साथ-साथ समग्र जन कल्याण के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों को निर्बाध रूप से एकीकृत करना भी संभव हो सकेगा। वर्तमान सरकार द्वारा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के त्वरित विकास और निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए लागू किए गए समस्त सुधारों और पहलों के बारे में भी बताया। इसमें हाल ही में शुरू की गई पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता की योजना शामिल है, जिसके तहत राज्य सरकारों को नई या पहले से अविकसित (ग्रीनफील्ड) अवसंरचना के विकास में तेजी लाने के लिए राज्य सरकारों के स्वामित्व वाली परिसंपत्तियों का दोबारा उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। नीति आयोग ने कहा,इस कार्यक्रम का रणनीतिक उद्देश्य संस्थागत और दीर्घकालिक पूंजी का उपयोग करके सार्वजनिक क्षेत्र की मौजूदा (ब्राउनफील्ड) परिसंपत्तियों में निहित निवेश के मूल्य को हासिल करना है, जिसे आगे सार्वजनिक निवेश के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने इस तरह से निवेश के मूल्य को हासिल करने के तौर-तरीकों पर विशेष जोर दिया, जिसे निजीकरण या औने-पौने मूल्यों पर परिसंपत्तियों को बेचने के बजाय व्यवस्थित अनुबंधात्मक साझेदारी के जरिए प्राप्त करने की परिकल्पना की गई है। एक अनुमान के अनुसार भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के 25 हवाईअड्डे, साथ ही 40 रेलवे स्टेशन, 15 रेलवे स्टेडियम और अज्ञात संख्या में रेलवे कॉलोनियों को निजी निवेश प्राप्त करने के लिए पहचाना गया है ऐसा अंदेशा है। योजना के तहत, निजी कंपनियां इनविट रूट का उपयोग करके एक निश्चित रिटर्न के लिए परियोजनाओं में निवेश कर सकती हैं और साथ ही सरकारी एजेंसी को वापस स्थानांतरित करने से पहले एक निश्चित अवधि के लिए परिसंपत्तियों का संचालन और विकास कर सकती हैं। गोदामों और स्टेडियमों जैसी कुछ संपत्तियां भी संचालन के लिए लंबी अवधि के पट्टे पर दी जा सकती हैं।...साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के परिचय की करें तो केंद्रीय बजट 2021-22 में स्थायी अवसंरचना निर्माण के वित्तपोषण के लिए वर्तमान में संचालित की जा रही सार्वजनिक अवसंरचना परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण की पहचान एक प्रमुख साधन के रूप में की गयी है। इसके लिए बजट में ब्राउनफील्ड अवसंरचना परिसंपत्तियों के सन्दर्भ में 'राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन तैयार करने का प्रावधान किया गया है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन सरकारी बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए निजी क्षेत्र से निवेश एक सार्थक प्रयास है।
संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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