नया सबेरा नेटवर्क
मीरा-भायंदर। पानी के संकट से जूझते मीरा-भायंदर वासियों को पिछले कुछ महीनों से इस समस्या से निजात मिलती दिख रही है। यह संभव हो पाया है, सार्वजनिक बांधकाम विभाग से स्थानांतरित होकर आए कार्यकारी अभियंता दीपक खांबित की उत्कृष्ट कार्यशैली से। बता दें कि मनपा के तमाम विभागों की कार्यशैली पर हमेशा सवालिया निशान उठते रहते हैं, लेकिन इसी मनपा में कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं, जिनकी जागरूक कार्यशैली की हमेशा सराहना होती है। इन अधिकारियों में जलापूर्ति विभाग के कार्यकारी अभियंता दीपक खांबित का भी समावेश है। कमोबेश अधिकतर विभाग प्रमुखों की कार्यशैली चर्चा या तारीफ करने लायक अक्सर होती नहीं। इसके बावजूद कभी-कभार कुछ अधिकारियों की कार्यशैली चर्चाओ के केंद्र में आ ही जाती है, जो अपनी क़ाबलियत, लगन और मेहनत के दम पर लोगों की अपेक्षा-आशा-उम्मीद और विश्वास पर खरे उतरते हैं।
ऐसा ही कुछ हो रहा है,मीरा भायंदर मनपा के जलापूर्ति विभाग में, जहां कार्यकारी अभियंता दीपक खांबित ने अपनी नियुक्ति के साथ ही ऐसे कुछ कार्यो को अंजाम दिया, जो बहुत पहले ही कर लिए जाने चाहिए थे। जिनमें से एक ताजा उदाहरण है, मनपा क्षेत्र में पानी वितरण व्यवस्था को लेकर वर्षों से चल रही रोजमर्रा की शिकायतें, जिसमें मनपा के अलग -अलग क्षेत्रों में कहीं सप्लाई ज्यादा तो कहीं कम के मद्देनजर वितरण अंतराल के घंटो को लेकर भी सवाल उठते रहे, पर अब जलापूर्ति विभाग के प्रमुख दीपक खांबित ने ऐसी एक व्यवस्था की शुरुआत की है, जिसके जरिए कौन से एरिया में कितने वाटर टैंक और किस टैंक के जरिए किस एरिया को कितने घंटों के अंतराल में पानी वितरण किया जा रहा है, उसकी पूरी जानकारी पारदर्शिता लिए हर रोज सुबह वाट्स ऐप के जरिए कार्यकारी अभियंता की ओर से नगरसेवकों, मीडिया और अन्य जरूरी लोगों को मय रिकॉर्ड दी जा रही है, जिस जानकारी को कोई भी कभी भी प्राप्त कर सकता है। दूसरी बात मीरा-भायंदर मनपा क्षेत्र में वर्षों से, या शुरुआत के साथ ही सरकारी कार्यालयों, निजी संस्थाओं की ओर से ठेके पद्धति में चल रहे उपक्रमों, पुलिस थानों और महसूल विभाग के कार्यालयों को मुफ्त में पानी दिया जाता रहा। जिसके विरोध में समय-समय पर मांगे भी उठती रहीं, पर कुछ हुआ नहीं। आख़िरकार कार्यकारी अभियंता दीपक खांबित ने अपनी नियुक्ति के साथ इस मुद्दे /मांग को हाथ में लेते हुए चर्चा, प्रोसेस के साथ आख़िरकार मुफ्त में पानी आपूर्ति बंद कर बिल भेजने का कार्य शुरू किया। इस निर्णय के बाद अभी सभी सरकारी विभागों को जल वितरण के हिसाब से बिल जा रहे हैं, और जलापूर्ति विभाग पर सालाना पड़ रहे अनावश्यक लाखों के मासिक खर्च को भी विराम लगा है। गौरतलब हो कि वर्षों से अब तक मनपा क्षेत्र के उन 100 से ज्यादा स्थलों पर मनपा एक बार में करीब 2 लाख 40 हजार लीटर पानी मुफ्त देते हुए खर्चा स्वयं उठाती रही थी। अब मुफ्त पानी बंद करने से सालाना करोडों का अतिरिक्त बोझ जल विभाग पर नहीं पड़ेगा। तीसरा मुद्दा जो आम नागरिकों /सोसाायटी / कारखानों या अन्यों के पानी बिलों से संबंधित शिकायतों का विभाग की ओर से बिना मीटर रीडिंग के मनमर्जी के बिलों का भेजा जाना, इस पर ध्यान देते हुए जलापूर्ति विभाग ने अब मीटर रीडिंग
स्टाफ की जबाबदेही तय करते हुए, स्टाफ को भी बढ़ाते हुए कार्य का विकेंद्रीकरण किया गया है। साथ ही जिनके मीटर खराब थे, उन्हें बदलने हेतु जागरूकता लिए प्रयास शुरू किए गए हैं, जिससे रेगुलर मीटर रीडिंग से बिलिंग होने की शुरुआत से लगातार आ रही शिकायतों पर ब्रेक और कमी देखी जा रही है। इसके अलावा अभी भी ऐसे कई कार्य हैं, जिसमें लीकेज, पानी की चोरी और मनपा को पानी सप्लाई के दो प्रमुख स्रोतों, जिसमे एक एमआईडीसी और दूसरा स्टेम प्राधिकरण का समावेश है, इन दोनों से तय मात्रा में पानी की सप्लाई आती है या नहीं, इसके लिए जरुरत है पारदर्शिता लिए मापदंड की, क्योंकि वर्तमान में मनपा को जो पानी एमआयडीसी और स्टेम से सप्लाई किया जाता है, उसका रिकॉर्ड या रीडिंग या चेकिंग मीरा-भायंदर मनपा के हाथ में नहीं है। ऐसे में ऐसी व्यवस्था की दरकार है, जिससे मनपा अपने लेवल से, अपने साधनों से अपने ही मनपा क्षेत्र में अपने हक़ के एमएलडी पानी की जांच -पड़ताल कर सके। क्योंकि सूर्या डेम के पानी आने में अभी भी दो-तीन साल का वक्त लगने की संभावना के बीच पानी की किल्लत से बचने के लिए एक-एक एमएलडी पानी का हिसाब और उपयोगिता जरुरी है। कुल मिलाकर जलापूर्ति विभाग प्रमुख दीपक खांबित के अब तक के प्रयासों से आशा और उम्मीद है कि वे अपने प्रयासों में प्रयासरत रहते हुए जलापूर्ति विभाग की कायापलट करने में आगे भी खरे उतरेंगे।
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