#JaunpurLive : कथा के श्रवण से बच्चों में अच्छे संस्कार का विकास –डॉ. धर्मराज तिवारी

जौनपुर:  भागवत् कथा का श्रवण, मनन बचपन से ही बच्चों को कराने से बच्चों मे अच्छे संस्कार का विकास होता है । कथा का श्रवण मन, मति, चित्त मे धारण करते हुए सुनना चाहिए। कथा का श्रवण रसिक बन कर कथा का पान करने से ही कथा सुनने का सही अर्थ निकलता है । उक्त बातें सिंगरामऊ से पधारे व्यासपीठ पद पर आसीन प्रख्यात कथावाचक डॉ. धर्मराज तिवारी ने महमदपुर गाँव मे भगवती प्रसाद पान्डेय के आवास पर आयोजित साप्ताहिक श्री मद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ मे प्रवचन करते हुए कहीं। उन्होंने भागवत कथा की महत्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि भागवत कथा व्यक्ति को सांसारिक भवसागर से पार करने का सरल साधन होने के साथ ही साथ आपको जीवन को सही तरीके से जीने की कला भी सीखाता है । भाई का सहीं अर्थ बताते हुए कहते है कि भाई वह है जो पैतृक संपत्ति का नहीं विपत्ति का बटवारा करे । कथा के बीच मे माँ की महत्ता का गुणगान करते हुए बताते कि माँ अपने बच्चों को तमाम विपत्तियों को सहते हुए अपने गर्भ मे नौ माह तक अपने रक्त से पालती है । अत: कभी भी भूल से भी मां का दिल नहीं दुखाना चाहिए । कथा के सफल बनाने मे पन्डित राम प्यारे जी महाराज, यज्ञाचार्य सोनू जी महाराज व पन्डित आनन्द तिवारी 'शास्त्री' जी ने अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किए । इस अवसर पर श्रवण तिवारी, मुरारी मिश्रा, विजय शंकर पान्डेय, हरिश्चन्द्र पान्डेय, राजन, प्रवेश, राहुल, अशोक, अनिल पान्डेय, रिंकू, पिंकू, काली प्रसाद पांडेय आदि मौजूद रहे ।


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