नया सबेरा नेटवर्क
कठिन समय का दौर आया है,
वायरस का बादल छाया है।
मुश्किल में है देश का इंसान,
सांसों पे संकट गहराया है।
न हो जरुरी तो बाहर न निकलो,
शासन लॉकडाउन लगाया है।
कौन उखाड़ा छायादार बरगद,
उस जगह वो खजूर लगाया है।
चाँद को किसने किया अग़वा,
अंधकार से हाथ मिलाया है।
जंगल, पर्वत का जिगर न चीरो,
कौन उल्टी गंगा बहाया है।
कुदरत के जिस्म में अग्नि छिपी,
लार कौन अपनी टपकाया है।
सींचेंगे खेत कब तक ओस से,
कौन नदी मेरी चुराया है।
गाँव के गाँव, बर्बाद हो रहे,
कौन वहाँ मौत को पहुँचाया है।
बिना मास्क के बाहर न निकलो,
कौन नहीं बात समझ पाया है।
तोड़ी वायरस की चैन ये दुनिया,
जलवा भी अपना दिखाया है।
हम भी तोड़ेंगे वायरस की चैन,
इसीलिए आपको समझाया है।
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
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