नया सबेरा नेटवर्क
ससुराल में.....
साले साहब की शादी है...
बीबीजी अपने सौंदर्य प्रसाधन,
और आभूषणों के साथ...
मेरी अँगूठी और सिकड़ी भी
लेकर गई हैं...
यह कहते हुए कि...
वहीं आना और पहन लेना...
और हाँ....
मौरबंधन के समय...
मेरे भाई को पहना देना..
आखिर वह अपनी ससुराल
सूने गले सूने हाथों के साथ...
तो नहीं जाएगा....!
इतने के बावजूद भी...
मैं खुश था...
आखिर ससुराल जो जाना था....!
फूट रहे थे मन में गुब्बारे....
सो शादी के तीन दिन पहले....
हम अपने ससुराल में पधारे...!
घंटी बजाई सासु जी दौड़ी आई,
पर ऐसा लगा...
वे मजबूरी में मुस्काई...
आखिर मैं था तो जमाई...
भाई मैं डरा और डरी मेरी परछाई
तभी ससुर जी की भी,
मधुर आवाज आई...
क्वॉरेंटाइन करो भाई...
बाहर से आया है जमाई...!
फिर बड़ी साली को आवाज देकर सासु माँ....!
सैनिटाइजर मंगवाई....
बाहर जूता निकालकर
जैसे ही मैं भीतर बढ़ा
बड़ी सरहज बकबकाई...!
पढ़े लिखे हो फिर भी....
अकल नहीं आई ....
तीन दिन पहले ही आने की...
क्यों किए ढिठाई....??
कोने वाले घर में अलग से...
रखी गई मेरी चारपाई...
अब वही मुँह बनाए बैठा था....
मैं लिए हाथ में मिठाई...
एकाएक दिखाई दी मुझे
छोटी साली की परछाई....
जोर से मैंने आवाज लगाई...
दौड़कर वह मेरे पास आई ..
एक अकेली वही थी जो...
मुझे देख कर मुस्काई...!
बोझ जो कुछ हल्का हुआ तो...
मेरी मति भी भरमाई...
पास उसको बुलाकर...
अपनी पीड़ा बतलाई...
पर वह भी अब बड़बड़ाने लगी...
मुझको दुनिया दिखाने लगी....!
जीजा जी.....!
कोरोना की घड़ी है आई...
सामाजिक दूरी बनाओ...
मत करो बेहयाई....!
मोहल्ले वालों से मिलने गई थी मेरी लुगाई....
सो देख नहीं पाई वह...
मेरी इतनी बुराई...!
लौटकर जब वह...
अपने घर आई ...
मैंने सारी बातें उसको बताई...
कहा ससुराल में ,
इतनी बुराई.....!
कौन सहता है भाई...??
आखिर मेरा भी स्वाभिमान है...
कब तक सहूँगा ...
यह नीचताई....!!
दिख गया उसी समय...
मुझे मेरा साला....!
उसी को मैंने जमके घुट्टी पिलाई... और कहा....!
भाड़ में जाए तेरी सगाई...
ना शामिल होगा यह जमाई...
तुझे बुरा लगे तो...रख लेना..
तू संग अपने मेरी लुगाई....
जोर-जोर से मैं यही...
चिल्ला रहा था....!
बड़बड़ा रहा था....!
जाने किधर से....!
एक आवाज आई...
आज शुक्रवार है....
साप्ताहिक लॉक डाउन है... चलो उठो...
करो बर्तन की मजाई-धुलाई...
घरों का झाड़ू-पोंछा और सफाई... !
बंधुओं....!
क्या कहूं... !
बड़ी कश्मकश के बाद...
यह बात समझ में आई....
"कोरोना" योद्धा को....
सपने में भी.....!
सुख नहीं है भाई ...
सपने में भी....
सुख नहीं है भाई...!
रचनाकार :
जितेंद्र कुमार दुबे
पुलिस उपाधीक्षक जौनपुर
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