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दिल में कोई दीया जलाओ तो सही,
अपना किसी को तू बनाओ तो सही।
लौटेंगी बहारें फिर तेरी किस्मत में,
उजड़ी इस दुनिया को बसाओ तो सही।
हौसला बुलंद रखो दर्द -ए -जिगर का,
भले हाथ न मिले,आँख मिलाओ तो सही।
न मिलने से भी बढ़ जाते हैं फासले,
कुछ अपनी कहो, कुछ सुनाओ तो सही।
संयम से देखो मिलती है सफलता,
भावनाएँ उसकी जगाओ तो सही।
मर्द हो, उसके नाज़-नखरे से डरो नहीं,
अपने दिल का आईना दिखाओ तो सही।
निकाल दो दहकते कांटों को दिल से,
छलकते जाम के लिए पग बढ़ाओ तो सही।
दूर से सेंकते हो रोज इन आँखों को,
उस ताजे पानी में आग लगाओ तो सही।
दुनिया हमारी नहीं, किसी और की है,
खुदा के सामने सिर झुकाओ तो सही।
रामकेश एम. यादव(कवि, साहित्यकार)मुंबई
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