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आरती मां लक्ष्मी रानी की।
जगत जननी महारानी की।।
आरती मां लक्ष्मी रानी की।।
जगत जननी महारानी की।।
योगिनी मां जगदम्बा की,
जगत आधार पराम्बा की,
नारायण हृदय ,
स्वामिनी बसैं,
आद्या शक्ति भवानी की।।
आरती मां लक्ष्मी रानी की।।
श्रृष्टि जननी जगरानी की।।
आरति मां लक्ष्मी रानी की।।
ब्रह्म शिव विष्णु को जाये,
विराजीं सर्वांगे महामाये,
तुहिं लक्ष्मी
हो शारदा तुम
शिव प्रिया गिरजा रानी की।
आरती मां लक्ष्मी रानी की,
जगत जननी महारानी की।।
तुम्हीं जग सुख वैभव भरती,
दुःख सुर नर मुनि जन हरती,
तूहीं राधा
वेद साधा
जानकी जनक दुलारी की ,
प्रेमाधार भवानी की,
आरती मां लक्ष्मी रानी की,
जगत जननी महारानी की।।
करो किरपा हे जगदंबा,
त्रिविध भवताप हरो अंबा,
हम आये शरण
सकल कुल तरण
कमला कमल वासिनी की।
नारायण हरि पटरानी की।
आरती मां लक्ष्मी रानी की।।
जगत जननी महारानी की।।
सुरेन्द्र दुबे अनुज जौनपुरी
काव्यमाला कसक
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