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सही दिशा में सही कदम - गलत कंटेंट को हटाने 24 घंटे का समय एक युग के तुल्य - मानहानि हो चुकी होगी, कोई औचित्य नहीं रहेगा - एड किशन भावनानी
गोंदिया - केंद्र सरकार द्वारा गुरुवार दिनांक 25 फरवरी 2021 को सूचना व प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 की धारा 79,69ए तथा 87 के अंतर्गत अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए तथा सूचना प्रौद्योगिकी इंटरमीडियरी गाइडलाइंस रूल्स 2011 के प्रयोग के आधारपर 29 पृष्ठों में 18 नियमों और 3 पार्ट्स में सूचनाप्रौद्योगिकी (इंटरमीडियरी और डिजिटल मीडिया आचार संहिता के लिए दिशानिर्देश) नियम 2021 जारी किया है, जिसके अंतर्गत विभिन्न व्यवस्थाएं, गाइडलाइंस, कर्तव्य,आचार संहिता, रजिस्ट्रेशन रेगुलेटिंग के नियम, नोटिफिकेशंस इत्यादि के बारे में भी नियम विनियम को उल्लेखित किया गया है जो भारतीय गजट में जारी किए जाने के दिन से लागू होगा जिसके लिए 3 माह का समय दिया गया है। हालांकि, यह सही दिशा में सही कदम होगा परन्तु एक बात में दिक्कत हैं कि महिलाओं के सम्बन्ध में गलत कंटेंट को हटाने 24 घंटे का समय एक युग के तुल्य होगा क्यों कि मानहानि हो चुकी होगी, कोई औचित्य नहीं रहेगा इसलिए ये 24 घंटे समय बहुत अधिक हैं, इसपर विचार करना होगा। इस गाइडलाइंस की जरूरत इसलिए पड़ी,क्योंकि मामला 2018 से शुरू हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइनस बनाने को कहा था। इस मामले की शुरुआत 11 दिसंबर 2018 से हुई जब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि वह चाइल्ड पॉर्नोग्राफी, रेप, गैंगरेप से जुड़े कंटेंट को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से हटाने के लिए जरूरी गाइडलाइंस बनाए। सरकार ने 24 दिसंबर 2018 को ड्राफ्ट तैयार किया था, इसपर 177 कमेंट भी आए थे और फिर अभी हाल ही में देखा जाए तो, किसान आंदोलन के बाद गाइडलाइंस का मुद्दा फिर सबसे अधिक गर्माया था। यूं तो लंबे समय से यह मुद्दा गरमाया था पर, 26 जनवरी 2021 को जब लाल किले पर हिंसा हुई,तो सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों पर सख़्ती बरती।सरकार ने कहा था, जब अमेरिका के कैपिटल हिल पर अटैक होता है तो सोशल मीडिया पुलिस कार्रवाई का समर्थन करता है और अगर लाल किले पर हमला होता है तो यहां डबल स्टैंडर्ड अपनाता है यह हमें साफ तौर पर मंजूर नहीं इस बार ओटीटी जाने ओवर द टॉप प्लेटफार्म के बारे में संसद में 50 सवाल पूछे गए थे। इस गाइडलाइंस में 4 तरह के प्लेटफार्म होंगे 1) इंटरमीडियरी 2) सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज 3) सिग्नीफिकेशन सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज 4)ओटीटी प्लेटफॉर्मस।सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के यूजर्स के लिए चार कामन फायदे है। पहला - आप की शिकायतें सुनी जाएगी दूसरा - शिकायतें कौन सुनेगा यह पता रहेगा, शिकायतों पर कितने दिन में कार्रवाई होगी यह पता रहेगा चौथा - महिलाओं की शिकायतों पर 24 घंटे में एक्शन होगा। सबसे बड़ी बात व्हाट्सएप, फेसबुक, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम, इत्यादि बड़े सोशल प्लेटफॉर्म्स पर सख्त नकेल कस सकेंगे और सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज के दायरे में छोटे मीडिया प्लेटफॉर्म्स भी आएंगे। इन गाइडलाइंस में बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 8 तरह से सख़्ती होगी। इन्हें ओरिजन के बारे में बताना होगा, देश की संप्रभुता सुरक्षा पब्लिक आदि मैं फसे ओरिजेंस की जानकारी देनी होगी। और आरोप साबित होने पर 5 साल से अधिक की सजा होगी, सोशल मीडिया कंपनी का चीफ कंप्लायंस ऑफीसर नियुक्त करना होगा, एक नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन भी नियुक्त करना होगा जो भारत में रहने वाला होना चाहिए। हर महीने कंप्लायंस रिपोर्ट जारी करनी होगी भारत में मौजूद कांटेक्ट, कांटेक्ट एड्रेस भी देनी होगी। सोशल मीडिया पर मौजूद यूजर्स वेरीफाइड हैं, इसके लिए मैकेनिज्म देना होगा और अंतिम यदि कोई सोशल मीडिया प्लेटफार्म किसी यूजर के कंटेंट को रिमूव करता है, तो आपको यूजर को उस बारे में सूचना देनी होगी इसके अलावा कारण बताने होंगे और यूजर की बात सुननी होगी। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को 6 बातें माननी होगी। बच्चों को दूर रखने के लिए पैरेंटरल लाभ मिलेगा। भारत में अभी व्हाट्सएप के सबसे अधिक यूजर्स हैं और यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर के भी यूजर्स बहुत हैं। अब डिजिटल न्यूज़ मीडिया के पब्लिशर्स को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और केबल टीवी नेटवर्क के रेगुलेशन एक्ट से जुड़े नियमों को मानना होगा, ताकि प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया के बीच रेगुलेशंस का सिस्टम एक जैसा हो। सरकार ने डिजिटल न्यूज़ मीडिया,पब्लिशर्स से प्रेस काउंसिल की तरह सेल्फरेगुलेशंस बॉडी बनाने को भी कहा है। केंद्रीय कानून मंत्री ने नियम बनाने की पीछे की वजह के बारे में संवाददाताओं से कहा कि हम उन्हें (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) सामग्री का खुलासा करने के लिए नहीं कह रहे हैं; सिर्फ पहले ओरिजनेटर का खुलासा करने के लिए कह रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि शरारत किसने शुरू की और यह केवल उन मामलों में लागू होगा, जहां सजा पांच साल से अधिक सजा का प्रावधान है, इसलिए उचित सुरक्षा है। नियमों में हम देखें तो नियम 5 (3) का प्रावधान कहता है कि, पहले ओरिजनेटर को ट्रेस करने के लिए आदेश के अनुपालन में, किसी भी महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मैसेज की सामग्री, पहले ओरिजनेटर से संबंधित किसी भी अन्य जानकारी, या उसके अन्य उपयोगकर्ताओं से संबंधित किसी भी जानकारी को शामिल करने की आवश्यकता नहीं होगी।" जहां मैसेज के पहले ओरिजनेटर का स्थान भारत के बाहर दिखाता है, वहां भारत के भीतर उस सूचना के पहले ओरिजनेटर को इस खंड के प्रयोजन के लिए मैसेज का पहला ओरिजनेटर माना जाएगा। ड्राफ्ट रूल्स 2021 के नियम 4 के तहत भारत के इंटरमीडियरी को 16 नियमों का पालन करना होता हैं। इसके अलावा, सभी इंटरमीडियरी को एक मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त करना आवश्यक है जोअधिनियम का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होगा। इसके अलावा, उन्हें कानून लागू करने वाले एजेंसियों और अधिकारियों के साथ 24x7 समन्वय के लिए संपर्क के एक नोडल व्यक्ति को नियुक्त करना चाहिए ताकि कानून या नियमों के प्रावधानों के अनुसार दिए गए उनके आदेशों या आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित हो सके। सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामला- यह ध्यान दिया जा सकता है कि 2019 के बाद से, सुप्रीम कोर्ट ऑनलाइन मैसेंजर सेवाओं के 'ट्रेसिंग' के मुद्दे पर याचिकाओं की एक संख्या पर विचार कर रहा है। एक इलेक्ट्रॉनिक लेख के अनुसार, मद्रास उच्च न्यायालय में लंबित एक समान याचिकाओं में, आईआईटी प्रोफेसर डॉ. कामाकोटी ने मैसेज के ओरिजिनेटर के बारे में पता लगाने के लिए कुछ सुझाव प्रस्तुत किए थे। इंटरनेट फ्रीडमफाउंडेशन ने मद्रास उच्च न्यायालय में निजता के अधिकार के उल्लंघन का हवाला देते हुए डॉ कामाकोटी के सुझावों का विरोध करने के लिए हस्तक्षेप किया। हालांकि, फेसबुक ने मामले को मद्रास हाईकोर्ट से शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय को अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया था।केंद्र एक 'शिकायत पोर्टल' बनाएगा और अगर किसी भी व्यक्ति को ओटीटी प्लेटफॉर्म या डिजिटल मीडिया में दिखाई गई सामग्री से आपत्ति है, वह व्यक्ति 'शिकायत पोर्टल' पर अपनी शिकायत दर्ज कर सकता है। शिकायत को पहले संबंधित इकाई को केंद्र द्वारा भेजा किया जाएगा। ओटीटी प्लेटफार्मों, डिजिटल मीडिया को शिकायत पोर्टल द्वारा भेजी गई शिकायतों से निपटने के लिए एक 'शिकायत निवारण अधिकारी' नियुक्त करना होगा। एक व्यक्ति, जो शिकायत निवारण अधिकारी की प्रतिक्रिया से असंतुष्ट है, संबंधित शिकायत के लिए गठित स्व - विनियमन निकाय में अपील कर सकता है और अगर वह फिर भी संतुष्ट नहीं होता है तो केंद्र सरकार से अपील कर सकता है।
संकलनकर्ता कर विशेषज्ञ एड किशन सन्मुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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