रियाजुल हक
जौनपुर। प्रस्तावित नए जिला कारागार के लिए जिन 343 किसानों से भूमि का बैनामा कराया जाना है, उनमें से 175 की जमीन की मालियत के आंकलन का काम पूरा हो गया है। भूमि संबंधी दस्तावेजों के आधार पर जेल प्रशासन अन्य किसानों की भी भूमि के मूल्य का आंकलन करने में जुटा हुआ है। बावजूद इसके बैनामे की प्रक्रिया इस साल शुरू होने की उम्मीद कम ही है, क्योंकि निबंधन शुल्क के लिए जरूरी 35 लाख रुपये काफी लिखा-पढ़ी के बाद भी अभी तक अवमुक्त नहीं हो सके हैं।
150 साल पहले की जेल में बंदी क्षमता महज 320 है।रविवार को जेल में बंदियों की संख्या 1294 यानी क्षमता से करीब चार गुना हो गई है। करीब एक दशक पहले जब बंदी क्षमता से दो गुना हुई थी, तो उसी वक्त जेल के निर्माण की कवायद शुरू हुई थी। करीब सात साल बाद प्रशासन ने जौनपुर-मीरजापुर रोड पर कुद्दूपुर, रंजीतपुर व इंदरिया गांवों में 20 हेक्टेयर के आस-पास जमीन चिह्नित की। इसमें 12.99 हेक्टेयर जमीन 343 किसानों की है बाकी जबकि 7.03 हेक्टेयर ग्राम समाज की है।
जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की जा रही है गांव के सर्किल रेट से कहीं ज्यादा मुआवजे के तौर पर भुगतान के लिए शासन से आए 45 करोड़ 72 लाख 90 हजार साल भर से केनरा बैंक की शाखा में जेल अधीक्षक के पदनाम के खाते में जमा है। राज्यपाल बैनामा के लिए स्टांप शुल्क माफ कर दिया है। अब निबंधन शुल्क अड़ंगा बना हुआ है। भूमि की मालियत पर दो फीसद की दर से निबंधन शुल्क देय है। निबंधन विभाग ने कुछ रियायत कर 10 लाख से कम मालियत पर 10,500 व इससे अधिक पर अधिकतम 20 हजार रुपये निर्धारित कर दिया है।
जेल अधीक्षक एसके पांडेय ने बताया कि बाकी 168 किसानों की भूमि की मालियत का आंकलन कराया जा रहा है। शासन से निबंधन शुल्क आते ही बैनामा कराने का काम शुरू हो जाएगा।
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