- धनंजय सिंह, लकी यादव, मनोज सिंह का राजनीतिक साख दांव पर
- इस सीट को जीतने के लिए भाजपा ने लगा दी अपनी प्रतिष्ठा
- मुख्यमंत्री सहित दिग्गजों के साये में रहा मल्हनी का उपचुनाव
सै. हसनैन कमर दीपू
जौनपुर।
मल्हनी विधानसभा उपचुनाव का परिणाम प्रदेश की राजनीति में सेमी फाइनल के रुप में देखा जा रहा है क्योंकि 2022 में यूपी के विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में जहां सत्ताधारी भाजपा ने इस उपचुनाव को गंभीरता से लेते हुए अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी थी और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संगठन मंत्री सुनील बंसल लगातार जिले की राजनीति पर निगाह गड़ाये बैठे थे। यही वजह थी कि जहां भाजपा ने अपने दोनों उपमुख्यमंत्री सहित कैबिनेट मंत्री, सांसद, विधायक, मंत्रियों व संगठनों की फौज लगा रखी थी तो वहीं निर्दल प्रत्याशी धनंजय सिंह अपने राजनीतिक अनुभव का इस्तेमाल करते हुए बूथों पर अपनी मजबूती दिखाने में कामयाब नजर आये। यही वजह थी कि समाजवादी पार्टी के इस गढ़ में धनंजय सिंह सभी प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशी को सीधे टक्कर देते हुए नजर आये। सुबह सात बजे से जब मतदान शुरु हुआ तो धनंजय सिंह अपनी पत्नी श्रीकला रेड्डी सिंह के साथ पूजा अर्चना करने मंदिर में पहुंचे और अपने मतदान केंद्र बनसफा पर दोनों ने वोट डाला।
गौरतलब हो कि धनंजय सिंह ही एक मात्र ऐसे प्रमुख प्रत्याशी हैं जो मल्हनी विधानसभा क्षेत्र के मतदाता हैं। 2002 में अपनी राजनीतिक पारी रारी विधानसभा क्षेत्र से करने वाले धनंजय सिंह का दबदबा 2012 तक इस क्षेत्र में बना रहा। उनके इस किले में अगर सेंध लगायी तो पूर्व कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव ने अपने राजनीतिक समीकरण के चलते ना सिर्फ दबदबा बनाये रखा बल्कि धनंजय सिंह उन्हें बराबर टक्कर देते हुए नजर आये। यही वजह थी कि इस राजनीतिक विरासत पर कब्जा करने के लिए धनंजय सिंह ने अपना सबकुछ दांव पर लगाया दिया तो वहीं भाजपा ने भी इसे अपनी प्रतिष्ठा बना डाला, हालांकि प्रत्याशी मनोज सिंह इस क्षेत्र के ना होने के चलते कुछ परेशानी उठानी पड़ी लेकिन संगठन उनकी मदद करता नजर आया। मतदान के दिन संगठन के लोग अपनी पार्टी की साख बचाने के लिए दिन भर दौड़ते नजर आये। बीएसपी की अगर बात की जाय तो ब्रााहृण वोट के सहारे इस सीट पर कब्जा करने का सपना देख रहे जेपी दूबे भी अपने लोगों के साथ मैदान में डटे रहे तो वहीं कांग्रेस के राकेश मिश्रा भी कई स्थानों पर लड़ाई में दिखायी दिये। कुल मिलाकर समाजवादी पार्टी के लकी यादव, धनंजय सिंह, मनोज सिंह की साख अब ईवीएम में कैद हो चुकी है। फिलहाल 10 नवम्बर को जब ईवीएम खुलेगी तो परिणाम किसके पक्ष में आएगा इसके कयास लगाये जा रहे हैं। हालांकि जिला प्रशासन को सरकार से जो भी दिशा निर्देश मिला उसे पालन कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी लेकिन फैसला तो आखिरकार जनता को ही करना था और लोकतंत्र के इस पर्व में जिस तरह से महिलाओं व बुजुर्गों ने मतदान करने में उत्साह दिखाया ये सबसे बड़ी जीत है।
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