नया सबेरा नेटवर्क
जौनपुर। मदरसे न केवल देश एवं प्रदेश की एक बड़ी आबादी को शिक्षित ही करते हैं, बल्कि इनके द्वारा सामाजिक समरसता और सामंजस्य भी बनाए रखने में बड़ी मदद मिलती है लेकिन इसके बावजूद भी वर्तमान सरकार द्वारा मदरसों और उसमें काम करने वाले लोगों के प्रति जो उपेक्षापूर्ण व्यवहार किया जा रहा है, उसकी कोई ठोस वजह दिखाई नहीं देती है। यह बातें माशिसं के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं वाराणसी खंड शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी रमेश सिंह ने जनपद जौनपुर के विभिन्न मदरसों मदरसा अनवारूल इस्लाम सलाफिया चंवरी, मदरसा अबरे रहमत मझगंवा चंवरी, मदरसा संदानिया शुदनीपुर, मदरसा चश्में हयात रेंहटी जलालपुर, मदरसा जामिया दारूल इस्लाम भाऊपुर व मदरसा इस्लामिया मडियाहूं का दौरा करते हुए कहा।
इस दौरान श्री सिंह ने कहा कि अगर सरकार वास्तव में सबका साथ-सबका विकास का नारा चरितार्थ करना चाहती है तो उसे निश्चित रूप से मदरसों और उसमें काम करने वाले लोगों एवं पढ़ने वाले बच्चों को समाज की मुख्यधारा में लाना होगा। इस कोरोना जैसी महामारी के बीच समाज के सभी वर्गों को आर्थिक राहत प्रदान करने के लिए केंद्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि वित्तविहीन शिक्षक साथियों के साथ-साथ मदरसों के शिक्षक साथियों को भी कोई राहत नहीं मिली। उ.प्रदेश माशिसंघ, संगठन के माध्यम से यह मांग करता हैं कि आर्थिक संकट के इस दौर में वित्तविहीन शिक्षक साथियों के साथ-साथ मदरसों में पढ़ाने वाले हमारे शिक्षक साथियों को आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाय। संगठन, मदरसों को अनुदान सूची में लेने और पिछली सरकार द्वारा अनुदान सूची में लिए गए ऐसे मदरसों का अनुदान मुक्त कराने के लिए कृतसंकल्पित है, जिनका अनुदान वर्तमान सरकार द्वारा रोक दिया गया है। साथ ही गैर अनुदानित मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को कोषागार से मानदेय दिलाने की लड़ाई भी पुरज़ोर ढंग से लड़ी जाएगी। जनपद भ्रमण अभियान में मास्टर राहिल अहमद, मौलाना दाऊद आलम व हाफिज़ खुर्शीद आलम साथ रहे।
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